बीएससी डिग्री के जाल में फंसे जिले के 86 छात्र छात्राएं
👉🏻नंदा इंस्टीट्यूट के कारनामों पर कब होगी कार्यवाही
बहराइच। मुख्यालय से सटा हुआ बेगमपुर के सोहरवा का नंदा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर बीएससी की डिग्री के नाम पर युवाओं से धोखाधड़ी का आरोप लगा है। कोर्स कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा कर युवाओं से फीस के नाम पर मोटी रकम वसूल ली गई। विभिन्न कक्षाओं में दाखिले लेने के बाद भी इनके एग्जॉम नहीं कराए गए।
छात्रों का आरोप है कि इंस्टीट्यूट के पास कोर्स को चलाने की मान्यता भी अब संदिग्ध लगने लगी है। पीड़ित छात्र छात्राओं का कहना है कि यहां पर बीएससी की डिग्री हासिल करने के लिए तमाम युवा यहां दाखिला लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। यहाँ पर आरोप है कि कोर्स के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। छात्रों के प्रवेश लिए 90- 90 हजार रुपये तक की रकम प्रवेश के नाम पर वसूल ली, यहाँ तक कई लोगों से दो -दो वर्ष की फीस एडवांस जमा करवाई गई है। वर्ष2022 के 86 बीएससी छात्र छात्राओं का कहना एक वर्ष बीत जाने के बाद भी जब परीक्षा आयोजित नहीं कराए गई और विरोध होने लगा तो आनन फानन में मैनुअल प्रवेश पत्र दिया गया।परिणाम परीक्षा फल को लेकर भी समस्याओं से जूझना पड़ा किंतु यहाँ पग पग पर सब कुछ गोल माल दिखाई पड़ा।परीक्षा परिणाम भी काले कारनामों की तरह निकला जिनके कभी दर्शन नहीँ हुए उनको उत्तरीण और जिन्होंने परीक्षा दी उनको अनुत्तीर्ण दिखाया गया।और काफी फजीहत बात रिजल्ट को दीवार पर चस्पा कर दिया गया। रवीन्द्र यादव, हुजैफा अंशिका त्रिपाठी आदि ने अपने अभिभावकों को जब कुछ दाल में काला होने की आंशका जताई गई तो अभिभावकों ने डिग्री की मांग कर दी।इसी बीच नंदा इंस्टीट्यूट के जिम्मेदारों द्वारा बताया गया कि परीक्षा सिंघानिया यूनिवर्सिटी की तरफ से करवाई गई है।बढ़ते विवाद को रोकने की गरज से देशभक्ति यूनिवर्सिटी पंजाब से जारी मार्कशीट बांटी जाने लगी जो ऑनलाइन न होकर ऑफलाइन थी।दरअसल वह भी एक तरह का फ्राड किया गया था।जिले में इस गम्भीर और चर्चित प्रकरण से नागरिकों में
काफी रोष व्याप्त हो रहा है वे अपने पाल्य के भविष्य को लेकर काफी चिंतित हो रहे है।अभिभावकों ने जिम्मेदारों पर कार्यवाही कराने को लेकर अधिकारियों के समक्ष पीड़ा बयाँ की है।