नए गजमित्रों के साथ संस्था न्यूज़ का कतर्नियाघाट में आगाज़,नए गजमित्रोँ के गठन को लेकर शुरू हुई तैयारी
भारत एवं नेपाल में हाथी मानव द्वंद्व को कम करने के लागत प्रभावी उपायों का दृढ़ीकरण एवं प्रचार के प्रोजेक्ट टाइटल के साथ कटिबद्ध है न्यूज़:अभिषेक
हाथी बचाव दल(गजमित्र) को किया जाएगा संसाधनों से लैस
चिली डंग(गोबर के कंडे )बनाने के लिए किया जाएगा प्रेरित,गोबर के कंडे में मिर्च सुलगाकर हाथियों को भगाने में मिलेगी मदद
इडो नेपाल सीमा से सटे कतर्निया घाट के जंगलों में ठंड बढ़ने के साथ जँगली हाथियों की चहलकदमी भी बढ़ गयी है। जंगल से सटे गांव बर्दिया, फ़क़ीरपुरी, बिशुनापुर, आम्बा, रमपुरवा, मटेही,आजमगढ़पुरवा, हरैया जँगली हाथियों से प्रभावित गांव है। इस समय प्रतिदीन इन गांवों में जँगली हाथियों का झुंड किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे है । अब किसानों को अपनी सुरक्षा एवं उनकी फसलों की सुरक्षा की चिंता सता रही है। इन सबके बीच जँगली हाथियों से बचाव एवं उनकी सुरक्षा पर काम करने वाली संस्था न्यूज़(नेचर इनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी) ने भी कमर कसते हुए टीम कतर्नियाघाट पहुंच गई और नए गजमित्रों के गठन को लेकर तैयारियां शुरू कर दिया है । अपने प्रोजेक्ट टाइटल””भारत एवं नेपाल में हाथी मानव द्वंद्व को कम करने के लागत प्रभावी उपायों का दृढीकरण एवं प्रचार “”के तहत रमपुरवा,कारीकोट,हरैय्या,आजामगढ़पुरवा गांवों में गोष्ठी के ज़रिए लोगो को जागरूक कर रहे है। न्यूज़ संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक की अध्यक्षता में ग्रामीणो को फसलों से बचाव एवं हाथियों से उनकी सुरक्षा को लेकर जागरूक किया जा रहा है। संस्था के बायोलॉजिस्ट सितांशु दास भी जंगल पर ग्रामीणों की निर्भरता कम करने के लिए गाँव मे ही रोजहार उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है। इन बैठकों में वन क्षेत्राधिकारी ताराशंकर यादव वनक्षेत्राधिकारी निशान गाड़ा ने न्यूज़ टीम को हाथियों से बचाव एवं उसके उपायों पर सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। इन बैठको के दौरान फील्ड सहायक राजा हसन, इडिशी अध्यक्ष रामफल चौहान,लालबहादुर,संदीप सेन,ग्राम प्रधान रमपुरवा प्रतिनिधि विनोद,प्रधान कारीकोट प्रतिनिधि केशवराम चौहान,सत्यनाम सिंह,कौशल किशोर,वन रक्षक कौशल किशोर आदि उपस्थित रहे।
इन बिंदुओं पर की गई चर्चा
1- ग्रामीणों क्षेत्रों में जँगली हाथियों से बचाव एवं फसलो की सुरक्षा के लिए नए गजमित्रों के गठन पर विचार किया जा रहा हैं।
2-गांव के युवा और महिलाओ को भी इपीजी गजमित्रों के साथ जोड़ा जाएगा और जीवकोपार्जन के उपायों के ऊपर समीक्षा की गई।
3- पेट्रोलिंग करते समय अगर लगता है कि जानवर हमला कर देगा या ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि दोनों मेसे कोई नही बचेगा तो ऐसी स्थित में एडीएस का प्रयोग सुरक्षा के लिहाज से किया जाएगा
4- जंगल कर उन जगहों से अर्ली वार्निंग सिस्टम(ews) की शुरुआत की जाएगी जिसमें वन विभाग गजमित्रों के साथ मचान और इपीजी के उपकरण के सहारे हाथी का मूवमेन्ट देखेंगे।
5-चिली डंग केक( गोबर के कण्डे )बनाकर उसमें सूखा मिर्च जलाकर उसके दुर्गंध से हाथियों को भगाने में मदद मिलेगी।
6- वन्य जीवों से बचाव के लिए खेतों में रोशनी के लिए सोलर लाइट/मोशन सेंसर लाइट की भी बाते चल रही है,वन्य जीवो से प्रभावित गांव जहां पर शौचालय नही है वहां सामुदायिक शौचालय,हाथी एवं वन्य जीवों की गतिविधियों का निरीक्षण के लिए वाच टावर लगाने पर विचार किया गया।
7-जंगल मे लगभग 40 प्रतिशत निर्भरता कम करने के लिए ग्रामीणो को हाईब्रिड चूल्हा बनाने के गुर सिखाए जायेंगे।
8-हाथी मानव के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहने उसको मजबूत करने पर भी चर्चा की गई।